अमेरिका ने रूस की दो प्रमुख तेल कंपनियों, रोसनेफ्ट और लुकोइल, पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह कदम यूक्रेन में शांति समझौते पर दबाव बनाने और रूस द्वारा आक्रमण को वित्तपोषित करने की मंशा को रोकने के प्रयास में उठाया गया है। इन प्रतिबंधों के तहत अमेरिका में इन कंपनियों की सभी संपत्तियों को जब्त किया जाएगा और किसी भी अमेरिकी कंपनी को इन दोनों रूसी तेल कंपनियों के साथ व्यापार करने की अनुमति नहीं होगी।
भारत पर संभावित असर
रूस के 2022 में यूक्रेन पर आक्रमण के बाद से भारत रूसी कच्चे तेल का बड़ा खरीदार बन गया है। पश्चिमी खरीदारों के हटने के बाद भारत ने छूट का लाभ उठाते हुए रूस से बड़े पैमाने पर तेल आयात किया है।
विशेषज्ञों और उद्योग सूत्रों का कहना है कि अमेरिकी प्रतिबंधों से रिलायंस इंडस्ट्रीज के सीधे रूस से तेल आयात पर असर पड़ सकता है, क्योंकि यह रोसनेफ्ट से सीधे तेल खरीदती है। दूसरी ओर, सरकारी रिफाइनरियां फिलहाल मध्यस्थ व्यापारियों के माध्यम से आयात जारी रख सकती हैं, क्योंकि अधिकांश यूरोपीय व्यापारी प्रतिबंधों के दायरे से बाहर हैं।
रिलायंस ने दिसंबर 2024 में 25 साल के अनुबंध के तहत रोजाना 5,00,000 बैरल तेल आयात करने के लिए रोसनेफ्ट के साथ समझौता किया था। कंपनी बिचौलियों से भी तेल खरीदती है। उद्योग सूत्रों ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयां अनुपालन जोखिमों का आकलन कर रही हैं, लेकिन रूसी तेल प्रवाह को तुरंत रोकने की संभावना कम है।